प्राकृतिक आपदा के दौरान भी गैर जिम्मेदाराना ढंग से रिपोर्टिंग व्यवहार कर रहा है देश का मीडिया।


नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लोक घोषणा के बाद 23 मार्च 2090 को दिल्ली स्थित निजामुद्दीन मरकज की ओर से अवगत करा दिया गया था, कि घोषणा के तत्काल बाद तकरीबन 500 विदेशी तबलीगी जमात के मेहमानों को उनके वतन वापस भेजने के बाद एक हजार के करीब विदेशी मेहमान मरकज में शेष रह गए हैं, उनको अब वापस अपने देश भेजने के लिए पास लगे वाहनों की आवश्यकता है। इसलिए तत्काल पैसों की व्यवस्था की जाए।
     मरकज के प्रबंधक मौलाना युसूफ साहब ने सोशल मीडिया के साथ साथ देश के प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के दफ्तरों को प्रशासन को सौपे गए पत्र की प्रति प्रेषित कर प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया है। 
         उल्लेखनीय है कि निजामुद्दीन मरकज से इस संबंध में स्थानीय प्रशासन की घोर लापरवाही उजागर किए जाने के बावजूद भी प्रशासन को कटघरे में खड़ा करने के बजाए निजामुद्दीन मरकज के जिम्मेदारों को फंसाने के षड्यंत्र को हवा दे रहे हैं। जो बहुत ही चिंताजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है। स्थानीय प्रशासन और देश की मीडिया को ऐसे समय में भ्रामक और झूठे समाचारों को आगे बढ़ाने के बजाय देश के रचनात्मक विकास के साथ-साथ देश की जनता के अच्छे स्वास्थ्य के बारे में अपना सहयोग देना चाहिए। लेकिन ऐसे नाजुक वक्त में भी देश का मीडिया अपनी गन्दी सोच का परिचय दे रहा है,


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