प्रधानाध्यापक पद के वेतन की मांग को लेकर अदालत में पहुंचे इंचार्ज अध्यापक

 

       लखनऊ।  बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में सालों से प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में कार्यरत सहायक अध्यापकों ने प्रधानाध्यापक का वेतन दिए जाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
        गोरखपुर के प्राइमरी स्कूल में 2010 से प्रभारी प्रधानाध्यापक त्रिपुरारी दुबे और 2005 से प्रभारी प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी उठा रहे एक अन्य शिक्षक ने हाईकोर्ट में चार नवंबर को याचिका की थी।
           12 और 17 साल से कार्यवाहक के रूप में प्रधानाध्यापक की ज़िम्मेदारी निभा रहे दोनों अध्यापकों का तर्क है कि प्रधानाध्यापक का काम करने के बावजूद उन्हें सहायक अध्यापक का ही वेतन मिल रहा है। दोनों के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि जब याचिकाकर्ताओं को इतने लंबे समय तक प्रधानाध्यापक के रूप में काम करने की अनुमति दी गई है तो उन्हें पद के अनुरूप वेतन भी मिलना चाहिए। कोर्ट में अब इस मामले की सुनवाई 28 नवंबर को होगी। प्रभारी प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी उठा रहे सहायक अध्यापकों को हर महीने औसतन चार हजार रुपये का नुकसान हो रहा है। पदोन्नति न होने के कारण उन्हें एक इंक्रीमेंट भी नहीं मिल पा रहा है।
        प्रमोशन शिक्षकों का मौलिक अधिकार है। न होने से वित्तीय के साथ ही मानसिक उत्पीड़न का भी नुकसान झेलना पड़ा रहा है। अवैधानिक रूप से इनसे प्रधानाध्यापक का काम लिया जा रहा है। शिक्षकों का कहना है कि प्रमोशन के मार्ग में आ रही जो भी अड़चनें हों उन्हें दूर करके तत्काल प्रमोशन किया जाए। 

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